एक सवाल मेरा मन मुझे पूछता था अक्सर
क्यों होते है मौन मनीषी, ज्ञान का प्याला पीकर

फिर चाहे वे नानक, दादू, रसखान, कबीर हों,
और चाहे मोहम्मद, ईसा, गौतम या महावीर हों,

बहुत खोजने पर पाया एक दिन जवाब सटीक
जो सिर्फ़ दिल ही नहीं, दिमाग़ को भी लगा ठीक

शायद ये महात्मा समझ जाते होंगे ये राज़
कि ज्ञानी/मूर्ख इन दोनों का है बस एक ही इलाज

कितना भी समझाएँ मूर्ख को, नहीं निकलता कुछ अर्थ
और ज्ञानी तो "मौन" समझने में भी है समर्थ

या यूँ कहें कि किसे समझा सका है कौन
इसलिए तो मेरे भाई सबसे अच्छा है मौन।

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