मन की उथल-पुथल को अभिव्यक्त करता है कहानी संग्रह - कछु अकथ कहानी

15-07-2019

मन की उथल-पुथल को अभिव्यक्त करता है कहानी संग्रह - कछु अकथ कहानी

दीपक गिरकर

पुस्तक : कछु अकथ कहानी 
लेखिका : कविता वर्मा 
प्रकाशक : कलमकार मंच, 3, विष्णु विहार, अर्जुन नगर, दुर्गापुर, जयपुर – 302018 
मूल्य  : 150 रुपए
पेज : 96

“कछु अकथ कहानी” कविता वर्मा का दूसरा कहानी संग्रह है। कविता जी का उपन्यास छूटी गलियाँ भी काफ़ी चर्चित रहा था। इनके पहले कहानी संग्रह परछाइयों के उजाले को सरोजिनी कुलश्रेष्ठ कहानी संग्रह का प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ था। कविता जी के लेखन का सफ़र बहुत लंबा है। इनकी रचनाएँ निरंतर देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। कविता वर्मा ने इस संग्रह की कहानियों में स्त्री, बूढ़ी बेसहारा औरतें, बेबस बुज़ुर्ग, लाचार और बेबस मज़दूर, आम आदमी इत्यादि के मन की अनकही बातों को, उनके जीवन के संघर्ष को और उनके सवालों को रेखांकित किया हैं। इस संग्रह की कहानियाँ ज़िंदगी की हक़ीक़त से रूबरू करवाती हैं। मन की अनकही उथल-पुथल को शब्दों के धागों में सुंदरता से पिरोने में लेखिका सफल रही है। कविता जी का कथा परिवेश जीवन की मुख्यधारा से उपजता है और उनके पात्र समाज के हर वर्ग से उठ कर सामने आते हैं। इस संग्रह की कहानियाँ और कहानियों के चरित्र धीमे और संजीदा अंदाज़ में पाठक के भीतर उतरते चले जाते हैं। इनकी कहानियाँ पाठकों के भीतर नए चिंतन, नई दृष्टि की चमक पैदा करती हैं। इस कहानी संग्रह की भूमिका बहुत ही सारगर्भित रूप से वरिष्ठ साहित्यकार एवं कथाकार मनीष वैद्य ने लिखी है। 

लेखिका अपने आसपास के परिवेश से चरित्र खोजती है। कहानियों के प्रत्येक पात्र की अपनी चारित्रिक विशेषता है, अपना परिवेश है जिसे लेखिका ने सफलतापूर्वक निरूपित किया है। कविता वर्मा एक ऐसी कथाकार हैं जो मानवीय स्थितियों और सम्बन्धों को यथार्थ की क़लम से उकेरती हैं और वे भावनाओं को गढ़ना जानती हैं। लेखिका के पास गहरी मनोवैज्ञानिक पकड़ है। इनकी कहानियों की कथा-वस्तु कल्पित नहीं है, संग्रह की कहानियाँ सचेत और जीवंत कथाकार की बानगी है और साथ ही मानवीय संवेदना से लबरेज़ हैं। इस संग्रह में संकलित कहानियाँ महिलाओं तथा समाज के ऐसे लोग जो हमारे साथ रहकर भी हाशिये पर खड़े हैं, में जागरूकता, अपने अधिकारों के प्रति सजगता आदि को रेखांकित कराती हैं और उन्हें सशक्त बनाती हैं। इनकी कथाओं के महिला पात्र पुरुष के मन की गति को आसानी से समझ जाते हैं। कविता जी की नारी पात्र कमज़ोर नहीं हैं वे समस्याओं का डटकर मुकाबला करती हैं। कहानियों के तेवर अपने समय और समाज को लगातार कठघरे में खड़ा करते हैं। 

इस कहानी संग्रह में छोटी-बड़ी 15 कहानियाँ हैं। ये जीवन के 15 रंग हैं। कविता जी की कहानियाँ आधुनिक कहानियाँ हैं। इस कहानी संग्रह की कहानियों में महिलाओं का स्वतंत्र अस्तित्व, अपने दुखों को भूलकर ख़ुद को उबार लेने वाली नारी, अपनी दुनिया को पोटली में समेटती औरत, शोर शराबे में शांति तलाशते बुज़ुर्ग, आम आदमी का आत्मसंघर्ष, पिछड़े हुए आदिवासी अनपढ़ लोगों का खरापन, पति-पत्नी के बीच आपसी विश्वास, अपमान, बदला जैसे शब्दों की गंध को महसूस करते छोटे बच्चे, ज़माने से अकेले जूझती स्त्री, विस्थापित होने का दर्द झेलती एक अकेली नारी, सीमा पर दुश्मन सैनिकों से और अपनों से ही लड़ता एक सैनिक, एक ग़रीब मज़दूर के मन की उथल-पुथल आदि का चित्रण मिलता है। 

संग्रह की पहली कहानी "दरख्तों के साये में धूप" एक ऐसी स्त्री की कथा है जो परिवार की ख़ुशी के लिए अपनी छोटी-छोटी ख़्वाहिशें और अपने सपनों को स्थगित करती रहती है, लेकिन एक दिन वह अपना हौसला जुटाकर अपनी हताशा को दूर करके महिलाओं की स्वछंद सोच पर परिवार द्वारा लगाईं गई लगाम पर सवाल उठाती है। इस कहानी को पढ़ते हुए एक मध्यवर्गीय महिला की मनोदशा का बख़ूबी अहसास होता है। "बहुरि अकेला" कहानी को लेखिका ने काफ़ी संवेदनात्मक सघनता के साथ प्रस्तुत किया है। इस कथा में अनुभूतियों की मधुरता है, बिछोह की कसक है, अकेलेपन से उबरने की तीव्र उत्कंठा है और पुन: जीवन जीने की उत्कट अभिलाषा है। "मोको कहाँ ढूँढे" वृद्ध मानसिकता की कथा है। "दाग दाग उजाला" एक अलग तरह की रोचक प्रेम कहानी है जो पाठकों को काफ़ी प्रभावित करती है। "कुछ नहीं, कुछ भी तो नहीं" स्त्रियों की विवशता को दर्शाती कहानी है। "अपारदर्शी सच" कहानी में लेखिका ने स्त्री के अंदर की फ़ैंटेसी और उसके विचलन को सहजता और साहस के साथ बख़ूबी चित्रित किया है। मनुष्य की सच्चाई, ईमानदारी और उसके खरेपन को दर्शाती है इस संग्रह की शीर्षक कहानी "कछु अकथ कहानी"। इस संग्रह की अन्य कहानियाँ "दिवस गंध", "विदा", "यूँ ही मैं बावरी", "अभिमन्यु लड़ रहा है", "आसान राह की मुश्किल", "आदत", "विलुप्त", "सामराज" भी मन को छूकर उसके मर्म से पहचान करा जाती है।

लेखिका ने इन कहानियों में स्त्री संवेगों और मानवीय संवेदनाओं का अत्यंत बारीक़ी से और बहुत सुंदर चित्रण किया है। कविता वर्मा का दृष्टि फलक विस्तृत है। इनकी कहानियों में व्याप्त स्वाभाविकता, सजीवता और मार्मिकता पाठकों के मन-मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव छोड़ने में सक्षम है। कविता जी ने कहानियों में घटनाक्रम से अधिक वहाँ पात्रों के मनोभावों और उनके अंदर चल रहे अंतर्द्वन्द्वों को अभिव्यक्त किया है। लेखिका के कहानियों के पात्र अपने ही क़रीबी रिश्तों को परत दर परत बेपर्दा करते हैं। लेखिका जीवन की विसंगतियों और जीवन के कच्चे चिट्ठों को उद्घाटित करने में सफल हुई है। कविता जी की कहानियों में कथा पात्रों के मन की गाँठें बहुत ही सहज और स्वाभाविक रूप से खुलती हैं। संग्रह की सभी कहानियाँ शिल्प और कथानक में बेजोड़ हैं और पाठकों को सोचने को मजबूर करती हैं। कविता वर्मा की कहानियाँ एक व्यापक बहस को आमंत्रित करती हैं। कविता जी की कहानियाँ जीवन और यथार्थ के हर पक्ष को उद्घाटित करने का प्रयास करती हैं। संग्रह की सभी कहानियाँ एक से बढ़कर एक हैं। कहानियों का यह संग्रह सिर्फ़ पठनीय ही नहीं है, संग्रहणीय भी है। आशा है कि कविता वर्मा के इस कहानी संग्रह का हिन्दी साहित्य जगत में भरपूर स्वागत होगा। 

दीपक गिरकर
समीक्षक
28-सी, वैभव नगर, कनाडिया रोड,
इंदौर- 452016
मोबाइल : 9425067036
मेल आईडी : deepakgirkar2016@gmail.com
 

1 टिप्पणियाँ

  • 15 Jul, 2019 03:16 AM

    आभार दीपक जी

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