मन बातें

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 173, जनवरी द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

काजल लिखना
कँगना लिखना
लिखना मन की बातें।
 
आँसू लिखना
आँखें लिखना
यादों की तुम
पाँखें लिखना।
उम्मीदों की
थाती लिखना
दर्द विरह की
पाती लिखना। 
 
शब्दों को स्वर देकर लिखना
अनगिन विरही रातें।
 
उड़ते मेघा
रिमझिम बूँदें।
बैठे थे हम
आँखें मूँदें।
आँखें खोलीं
तपता मरुथल।
कितने कठिन
करुण थे वो पल।
 
जला जला कर तन मन अंतस
चली गईं बरसातें।
 
अक्षत दूबा
मंडप पंडित।
सात वचन क्यों
होते खण्डित।
अंतस काले,
बाहर सुंदर।
टूटे सपने,
किरचें अंदर।
 
फटते कटते रिश्ते लिखना
लिखना मीठी घातें।

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