महानगर में विदाई

03-12-2008

महानगर में विदाई

लक्ष्मी शंकर वाजपेयी

नहीं, ये उचित नहीं होगा
कि मैं दरवाज़े से ही चिल्लाकर कह दूँ
कि अच्छा मैं चलता हूँ
और तुम रसोईघर से ही कह दो
अच्छा ठीक है
बेहतर है जाने से पहले 
मैं तुम्हें ठीक से देख लूँ
और तुम मुझे देख लो अच्छी तरह 
क्योंकि इस ख़ूँख़्वार महानगर में 
इतनी निश्चिंतता से
नहीं दी जा सकती विदाई
नहीं पाली जा सकती
शाम को सकुशल मिलने की आश्वस्ति

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