मधु मालती 

15-05-2020

मधु मालती 

अनुपमा रस्तोगी (अंक: 156, मई द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

 

मधु मालती के लाल गुलाबी फूलों की बेल
भरी बालकनी  में जाती है झूल झूल


जादू भरा वो- इनका हर दिन रंग बदलना
शीतल चाँदनी से सफ़ेद पहले दिन
चढ़ते यौवन से गुलाबी दूसरे दिन
तीसरे दिन वो नयी 
शरमाई दुल्हन से सुर्ख लाल
फिर लगना बग़ीचे में, भँवरों, 
मधुमक्खियों चाहने वालों की क़तार


कभी लगता है 
इन्हें कान में झुमके बना कर पहनूँ
तो दूसरे ही पल सोचती हूँ 
इन्हें चुनकर गजरा बनाऊँ
फिर मन करता है इन्हें 
उठाकर घर के अंदर ले आऊँ
और इनकी भीनी ख़ुशबू से 
सारे घर को महकाऊँ


सुबह उठती ही, हूँ मैं  
बालकनी की ओर भागती
हर दिन इनके अनूप 
अनूठे अंदाज़ निहारती 
हज़ारों  फोटो हूँ मैं, 
रोज़ मोबाइल से उतारती
थकती नहीं इन्हें 
फ़ेसबुक स्टोरी पर बाँटती


यह लटकते लहराते 
सफ़ेद गुलाबी लाल फूलों के गुच्छे
महका रहे घर आँगन, 
लगते हैं कितने सजीले/ सच्चे अच्छे 

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