माता-पिता की महिमा

03-05-2012

माता तो सर्वोच्च है, महिमा अगम अपार!
माँ के गर्भ से ही यहाँ, प्रकट हुए अवतार!!
 
माँ की महत्ता तो मनुज, कभी न जानी जाय!
माँ का ऋण सबसे बड़ा, कैसे मनुज चुकाय!!
 
मात-पिता भगवान-से, करो भक्ति भरपूर!
मात-पिता यदि रुष्ट हों, ईश समझलो दूर!!
 
पिता दिखाए राह नित, दे जीवन का दान!
मान पिता को दे नहीं, अधम पुत्र को जान!!
 
रोम-रोम में माँ रहे, नाम जपे हर साँस!
सेवा कर माँ की सदा, पूरी होगी आस!!
 
माँ प्रसन्न तो प्रभु मिलें, सध जाएँ सब काम!
पिता के कारण जगत में, मिले मनुज को नाम!!
 
मात-पिता का सुख सदा, चाहा श्रवण कुमार!
मात-पिता के भक्त को, पूजे सब संसार!!
 
माँ के सुख में सुख समझ, मान मोद को मोद!
सारा जग मिल जाएगा, मिले जो माँ की गोद!!
 
माँ के चरणों में मिलें, सब तीरथ,सब धाम!
जिसने माँ को दुःख दिए, जग में मरा अनाम!!
 
माँ है ईश्वर से बड़ी, महिमावान अनंत!
माँ रूठे पतझड़ समझ, माँ खुश, मान वसंत!!

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