मानसिकता  

15-05-2021

मानसिकता  

सुभाष चन्द्र लखेड़ा (अंक: 181, मई द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

यह क़िस्सा सदियों पुराना है। तब का है जब सचमुच के तपस्वी हुआ करते थे। 

एक तपस्वी की कुटिया के पास कोई सूअर आया करता था। 

तपस्वी को उससे मोह हो गया। एक दिन तपस्वी ने जब देखा कि सूअर मरने वाला है तो उसने सूअर से पूछा– " क्या वह स्वर्ग जाना चाहेगा?" 
सूअर तपाक से बोला– "ज़रूर! " 

फिर उस  सूअर ने कुछ क्षण तक सोचने के बाद कहा, "आप मुझे जहाँ भी भेजें, मुझे मंज़ूर है लेकिन इतना ख़्याल रखिएगा कि वहाँ गंदे नाले हों।"    

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