माँ का घर में होना
चौरे पर दीपक
रोशन कोना-कोना।

हर उफ़्फ़ पर आह भरे
कितना बदलो तुम
माँ की ममता ना मरे।

दुख-दर्द सभी पीती
खोजे नेह सदा
घर की ख़ातिर जीती।

माँ छोड़ न तू डोरी
बचपन ज़िंदा रख
ना मरने दे लोरी।

माँ तेरे साय तले
लगते बिटिया को
तीज-त्योहार भले।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता - हाइकु
लघुकथा
कविता-सेदोका
कविता
सिनेमा चर्चा
कहानी
पुस्तक समीक्षा
पुस्तक चर्चा
कविता-माहिया
विडियो
ऑडियो