ली गई थी जो परीक्षा वो बड़ी भारी न थी

01-09-2019

ली गई थी जो परीक्षा वो बड़ी भारी न थी

वीरेन्द्र खरे ’अकेला’

ली गई थी जो परीक्षा वो बड़ी भारी न थी
हाँ मगर उसके लिए पहले से तैयारी न थी

 

हाँ ये सच है गालियाँ खाकर भी मैं ख़ामोश था
बेवकूफों से उलझने में समझदारी न थी 

 

दर्द का मरूथल ही फैला दीखता था हर तरफ़
उसके जीवन की धरा पर कोई फुलवारी न थी

 

पिछले हफ़्ते बेच दी मैंने कलाई की घड़ी
घर में थे मेहमान उस दिन और तरकारी न थी

 

दोस्तो होना ही था उसको सियासत में विफल
सीधा-सादा आदमी था उसमें मक्कारी न थी

 

कौन आया था वहाँ मेरी मदद के वास्ते?
उस मुहल्ले में भला किससे मेरी यारी न थी

 

तोड़ डाला था ‘अकेला’ उनको तेरी फ़िक्र ने
उनके यूँ जाने का कारण कोई बीमारी न थी

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