लक्ष्य
शोबना पंतसमय लगता है चिड़िया को अपना घोंसला बनाने में
समय लगता है एक चींटी को पहाड़ चढ़ जाने में।
समय लगता है नन्ही सी जान का नयी दुनिया को पहचानने में
समय लगता है किसी शिखर पर अपना तिरंगा लहराने में
समय लगता है अपनी एक पहचान बनाने में
समय लगता है नौका को मझधार से पार लगाने में
समय लगता है किसी कोंपल को फूल बन जाने में
समय लगता है किसी भी कविता को अलंकार से सजाने में
वैसे ही समय लगेगा अपने लक्ष्य को पाने में
अपना एक नया मुक़ाम बनाने में।
9 टिप्पणियाँ
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Bahut acchi kavita1
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Amazing
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Bahut khub.
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Beautiful lines...I feel connected to these lines..keep going and write more and more...never stop your pen..
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wah bahut badhiya
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पहचान बनने में समय लगता हैं बहुत सुंदर
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Bohot khoob
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Very well written
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Behad umda ✌✌