लक्ष्य

शोबना पंत (अंक: 182, जून प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

समय लगता है चिड़िया को अपना  घोंसला बनाने में
समय लगता है एक चींटी को पहाड़ चढ़ जाने में।
समय लगता है नन्ही सी जान का नयी दुनिया को पहचानने में
समय लगता है किसी शिखर पर अपना तिरंगा लहराने में
समय लगता है अपनी एक पहचान बनाने में
समय लगता है नौका को मझधार से पार लगाने में
समय लगता है किसी कोंपल को फूल बन जाने में
समय लगता है किसी भी कविता को अलंकार से सजाने में
वैसे ही समय लगेगा अपने लक्ष्य  को पाने में
अपना एक नया मुक़ाम बनाने में।

9 टिप्पणियाँ

  • 1 Jun, 2021 02:39 PM

    Bahut acchi kavita1

  • 1 Jun, 2021 02:38 PM

    Amazing

  • 1 Jun, 2021 01:43 PM

    Bahut khub.

  • 1 Jun, 2021 10:36 AM

    Beautiful lines...I feel connected to these lines..keep going and write more and more...never stop your pen..

  • iti
    1 Jun, 2021 10:16 AM

    wah bahut badhiya

  • 1 Jun, 2021 10:06 AM

    पहचान बनने में समय लगता हैं बहुत सुंदर

  • 1 Jun, 2021 09:29 AM

    Bohot khoob

  • 1 Jun, 2021 09:27 AM

    Very well written

  • 1 Jun, 2021 08:52 AM

    Behad umda ✌✌

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