कुछ पल की मुलाक़ातें...
मनोज शाह 'मानस'कुछ पल की मुलाक़ातें...!
कही अनकही सी बातें...!!
कुछ पल तेरे संग संगिनी।
छेड़े प्रेम प्रीत की रागिनी॥
तुम मन की तार बन जाओ,
मैं बन जाऊँ दिल की सजनी।
कुछ पल की मुलाक़ातें...!
कही अनकही सी बातें...!!
चलो शांत सागर में कंकड़ फेंकते हैं।
कड़ी दर कड़ी बनते लहरें देखते हैं॥
जीवन का स्वरूप देखते हैं इनमें,
बनकर सखा संगी अर्धांगिनी।
कुछ पल की मुलाक़ातें...!
कही अनकही सी बातें...!!
शाम हो खुला आसमान हो।
तुम हो सुलगते अरमान हों॥
आवारा बादलों की तरह दीवाना तुम,
मैं बनूँ काली घटाओं की तरह दीवानी।
कुछ पल तेरे संग संगिनी।
छेड़े प्रेम प्रीत की रागिनी॥
कुछ पल की मुलाक़ातें...!
कही अनकही सी बातें...!!
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