कृष्ण सुमंगल गान हैं

15-08-2020

कृष्ण सुमंगल गान हैं

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 162, अगस्त द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

कृष्ण मधुर हैं कृष्ण सुवासित
कृष्ण सुमंगल गान हैं।
कृष्ण हैं जीवन कृष्ण जगत मन
कृष्ण सर्व सम्मान हैं।


कृष्ण यशोदा नन्द दुलारे
नटखट बाल रूप अवतार।
कृष्ण गोपियों के हैं प्यारे
कृष्ण मित्रता के आधार।
गिरिवर के धारक हैं मोहन
सत्यस्वरूप महा गिरिराज।
ब्रजमंडल के पालन कर्ता
कृष्ण आत्मा के हैं अधिराज।


कृष्ण समर्पण जीवन सुख हैं
कृष्ण ब्रह्म अवधान हैं।


कृष्ण भाद्रपद अष्टम प्रकटे
परम ब्रह्म रासेश्वर रूप
शीतल कमल सुगंध अमिय मय
दिव्य ज्योतिमय रूप अनूप
मंगल गान नन्द गृह गूँजें
बजे बधाई गोकुल धाम।
रोली कुंकुम चौक पुरे हैं
प्रकटे कृष्ण और बलराम।
 

पलना में झूलें दो भाई
नन्द नदन मधु गान हैं।


हँसति लसति सखि मटकी धारें
माखन चोर कृष्ण मुस्कात।
मारे कंकड़ मटकी फोड़ी ,
लिपटे विमल मनोहर गात।
नन्द को लाल दही में लिपटो
गोकुल गलियाँ दौड़ो जात।
माखनमय मोहन मुख प्यारा
हलरावै दुलरावै मात।


गउओं का वो है रखवाला
गोपालक मधुमान है।


कृष्ण समन्वय कृष्ण प्रतिष्ठा
कृष्ण नीति है जन आधान।
कृष्ण प्रेम हैं कृष्ण आचरण
कृष्ण विज्ञ तम हैं विज्ञान।
कृष्ण मनोरथ कृष्ण भगीरथ
कृष्ण अलौकिक ब्रह्म विचार।
कृष्ण मनोमय कृष्ण जीवमय
कृष्ण चेतना के आधार।


कोटि कोटि ब्रह्माण्ड विनायक
मोहन अंतिम ज्ञान हैं।
 

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
काव्य नाटक
गीत-नवगीत
दोहे
लघुकथा
कविता - हाइकु
नाटक
कविता-मुक्तक
वृत्तांत
हाइबुन
पुस्तक समीक्षा
चिन्तन
कविता - क्षणिका
हास्य-व्यंग्य कविता
गीतिका
सामाजिक आलेख
बाल साहित्य कविता
अनूदित कविता
साहित्यिक आलेख
किशोर साहित्य कविता
कहानी
एकांकी
स्मृति लेख
हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
ग़ज़ल
बाल साहित्य लघुकथा
व्यक्ति चित्र
सिनेमा और साहित्य
किशोर साहित्य नाटक
ललित निबन्ध
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में