कृष्ण

प्रिया देवांगन ’प्रियू’ (अंक: 160, जुलाई द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

 (दोहा)


माखन मुख लिपटा हुआ, मैया पकड़े कान।
बाल रूप है कृष्ण का, करें सभी सम्मान॥


बैठे कदम्ब पेड़ पर, करें राधिका तंग।
सुना रहे मुरली मधुर, बैठ गोपियों संग॥


कृष्ण प्रेम की बाँसुरी, है राधा के नाम।
पावन सच्चा प्रेम है, जैसे चारों धाम॥


गीत प्रेम के गा रहे, सारे मिलकर आज।
दौड़ी आई राधिका, छोड़े सारे काज॥


धड़कन में है राधिका, नस नस में है प्रीत।
वृन्दावन में गूँजता, कृष्णा का संगीत॥


भोली भाली राधिका, पनियाँ भरने जाय।
छेड़ें मोहन राह में, गोपी भी शरमाय॥


राधा बैठी राह में, करे कृष्ण की आस।
छलिया मन को कर गयी, कैसे करूँ विश्वास॥

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