ख़ुदा से है कोई ख़ारिज...
अमित 'अहद’ख़ुदा से है कोई ख़ारिज तो कोई राम से ख़ारिज
यहां हर शख़्स होता है ख़ुद अपने काम से ख़ारिज
भले किरदार हो कोई निभाना नेक नीयत से
कोई इंसान होता है बस अपने काम से ख़ारिज
बहन ने हिंदू भाई को फ़क़त बाँधी थी इक राखी
उलेमा कर रहे हैं अब उसे इस्लाम से ख़ारिज
अगर ढूँढ़ोगे तो मिल जायेंगी कुछ ख़ामियाँ सब में
जिसे करना हो नक्कादों करो आराम से ख़ारिज
कभी माँ बाप की ख़िदमत नहीं की उम्र भर जिसने
समझना तुम उसे हर एक तीरथ धाम से ख़ारिज
'अहद' इल्जाम है मुझ पर हमेशा हक़बयानी का
मुझे सबने किया है बस इसी इल्जाम से ख़ारिज!
1 टिप्पणियाँ
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shandaar...........