खेलों में सफलता के लिए  

01-07-2021

खेलों में सफलता के लिए  

सुभाष चन्द्र लखेड़ा (अंक: 184, जुलाई प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

आज डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम  हमारे बीच मौजूद नहीं हैं किन्तु उनसे जुड़े निजी प्रसंगों को मेरा जैसा इंसान भला कैसे भूल सकता है? यह मेरा सौभाग्य रहा कि एक रक्षा वैज्ञानिक होने की वज़ह से मुझे उनसे मिलने के मौक़े मिलते रहे। मुझे एक विशेष मौक़ा तब मिला जब सन् 1997 में दिल्ली विश्वविद्यालय में आयोजित 84वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस के दौरान मैंने  उन्हें अपनी पुस्तक 'खेल, खिलाड़ी और विज्ञान' भेंट की।

वे उस समय रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार थे। तत्पश्चात, उन्होंने मुझसे अंग्रेज़ी में पूछा, "मुझे एक वाक्य में बताओ कि हम खेलों में सफल कैसे हो सकते हैं?" मुझे समझ नहीं आया कि मैं एक वाक्य में क्या कहूँ ? मुझे ख़ामोश देख वे हँसते हुए बोले, "हमारे खिलाड़ियों को आक्रामक होना होगा।"

फिर कुछ क्षणों की चुप्पी के बाद वे बोले, "हमने कभी किसी पर आक्रमण नहीं किया। यही वज़ह रही कि हमारे अंदर से आक्रामकता का लोप होता गया जबकि खेलों में विजय पताका फहराने के लिए खिलाड़ियों के अंदर आक्रामकता का होना बेहद जरूरी है।"

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