खीर का अंक गणित
सुनीता सिंहउस दिन घर में साबूदाना की खीर बनी थी। छोटी बेटी को साबूदाना की खीर पसंद नहीं, सो उसके लिए चावल की भी खीर बनी।
सब लोग खाना खाने बैठे तो डाइनिंग टेबल सबको साबूदाने की और छोटी बिटिया को चावल की खीर परोसी गयी।
मेरी बड़ी बेटी के साढ़े तीन वर्षीय बेटे छुटकू जी मेरे बगल वाली कुर्सी पर बैठे।
टेबल पर दो तरह की खीर देखकर मेरे यह दौहित्र जी कहते हैं -"नानी मैं ज़ीरो की खीर नहीं खाऊँगा, मैं तो वन की खीर खाऊँगा।"
सब चौंके, क्या कह रहे हैं छुटकू जी?...कौन सी खीर खाना चाहते हैं यह साहब!
उसकी मौसी समझ गयी। बोली, "मम्मी जी छुटकू साहब कह रहे हैं कि ज़ीरो माने गोल-गोल साबूदाना की खीर नहीं खाएँगे, वन (1) की आकृति वाले चावल की खीर खाएँगे।"
बच्चे के ऐसे भोले अनुमान से हम सब लोगों की हँसी छूट पड़ी, और मैंने प्यार से छुटकू को गोदी में उठा लिया।