खट्टे अंगूर

02-06-2016

खट्टे अंगूर

संजय पुरोहित

लोमड़ी कूदी। फिर कूदी। फिर फिर कूदी। अंगूर तक नहीं पहुँच पाई।

चिढ़ कर बोली, "अंगूर खट्टे हैं।"

फिर एक गधा आया। अंगूर देखे। वह उछला। एक झपट्टे में अंगूर के गुच्‍छे को मुँह में भर लिया। अंगूर वाकई खट्टे थे।

गधे के मुँह से निकला, "अंगूर खट्टे हैं!"

लोमड़ी दूर से देख रही थी। हँस कर बोली, "गधा कहीं का।"

गधा गंभीरता से सोचने लगा।

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