खैनी भी मलनी है

15-04-2021

खैनी भी मलनी है

अविनाश ब्यौहार (अंक: 179, अप्रैल द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

सड़कों का जिस्म ट्रैफ़िक से
छलनी-छलनी है।
 
दुर्घटना का कारण कि
ट्रेफ़िक बेक़ाबू है।
अंट-शंट नियम थाने में
जबकि लागू है॥
 
राम-रमा के देश की ज्यों
तस्वीर बदलनी है।
 
लोग अनैतिक चाल-चलन
में लिप्त मिले।
हवा विषैली है तब फिर
कैसे बाग़ खिले॥
 
सदा बुराई की यहाँ पर
होलिका जलनी है।
 
धीरे-धीरे रात ढली तो
मानो भोर हुई है।
भीनी-भीनी गंध संदली
चारों ओर हुई है॥
 
तलब लगी है थोड़ी सी
खैनी भी मलनी है।

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