खैनी भी मलनी है
अविनाश ब्यौहारसड़कों का जिस्म ट्रैफ़िक से
छलनी-छलनी है।
दुर्घटना का कारण कि
ट्रेफ़िक बेक़ाबू है।
अंट-शंट नियम थाने में
जबकि लागू है॥
राम-रमा के देश की ज्यों
तस्वीर बदलनी है।
लोग अनैतिक चाल-चलन
में लिप्त मिले।
हवा विषैली है तब फिर
कैसे बाग़ खिले॥
सदा बुराई की यहाँ पर
होलिका जलनी है।
धीरे-धीरे रात ढली तो
मानो भोर हुई है।
भीनी-भीनी गंध संदली
चारों ओर हुई है॥
तलब लगी है थोड़ी सी
खैनी भी मलनी है।
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