ख़ामोशी

अमित डोगरा  (अंक: 175, फरवरी द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

ख़ामोशी बहुत कुछ कहती है
ख़ामोशी दिल की
मोहब्बत बयान करती है।
ख़ामोशी अपनेपन का
एहसास करवाती है।
ख़ामोशी अक़्सर
अनकहे शब्दों को कहती है।
ख़ामोशी सिर्फ़
तुम्हारा ही इंतज़ार करती है।
ख़ामोशी दिल के दर्द को
नज़रअंदाज़ करती हैं।
ख़ामोशी बहुत कुछ
कहने को बेकरार होती है।
ख़ामोशी फिर से
तुम्हारे पास बैठना चाहती है।
ख़ामोशी फिर अपना
एहसास करवाना चाहती है।
ख़ामोशी सिर्फ़ तेरे साथ
ज़िंदगी बीताना चाहती है।

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें