कवि की अमरता

15-06-2021

कवि की अमरता

अभिषेक पाण्डेय (अंक: 183, जून द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

हाँ, एक दिन साँस रुक जाएगी,
क़लम थम जाएगी,
पर वह मरेगा नहीं,
वह ध्वनित होता रहेगा,
कुछ लोगों के कंठों से,
शब्द रूप में,
आंदोलित करता रहेगा
लोगों के भाव,
और प्रकट होता रहेगा,
आंदोलनों और क्रांतियों के रूप में॥
वह विपन्नों को दिलासा देने आएगा,
वह  हारे हुओं को आगे बढ़ाने आएगा,
तुम उसे पहचान लोगे,
जब झाँकोगे अपने मन के झरोखों के अंदर,
वह  मिलेगा,
कभी प्रेम के टूटे तार की तरह बजता हुआ,
कभी कृषकों की दशा पर रोता हुआ,
कभी तम नाशक सूर्य बनकर दमकता हुआ॥
और भी कई रूपों में . . .

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

कविता
गीत-नवगीत
कविता - क्षणिका
हास्य-व्यंग्य कविता
कविता - हाइकु
कहानी
बाल साहित्य कविता
किशोर साहित्य कविता
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में