कोरोना फै........ला!
लॉक डाउन हुआ
मुझे
घर बैठे
मिलने लगी तनख़्वाह
मैंने सोचा
यह तो मेरी ख़ुद्दारी के ख़िलाफ़ है।
मैंने
दे डाली अर्ज़ी
ज़िला के मुखिया को
इस आपदा की घड़ी में
हाथ बँटाने को
भय-आक्रांत
तिरिया ने
डपट दिया
चुप कर!
बैठा हूँ
तब से
घर के कोने में
दुबक कर!
पर
कुलबुलाहट तो थी
सो
कोरोना को ...........लेकर
कुछ ..... लिख दिया
मैं.......... मृत
थोड़ा जी गया
समाज-सेवी
न सही
कवि हो गया!