कथ्य पुराना गीत नया है

01-06-2020

कथ्य पुराना गीत नया है

शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’ (अंक: 157, जून प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

समय-सिन्धु के हिलकोरों का,
हिंदी में अनुवाद हुआ है,
तैरे शब्द-श्लेष के नाविक,
कथ्य पुराना गीत नया है
 

दबी वेदना सिसक रही थी,
नदी-किनारे त्रासदियों की,
लिपिका समझ रहे थे प्राचल,
खुदी हुईं उन आकृतियों की,
संरचना आपूर्ण आधुनिक,
परिवर्तन प्राविधिक समंजस,


प्राविधान ने हृदय छुआ है,
साज नए संगीत नया है।
 

घटी हुईं इन घटनाओं का,
भौगोलिक संचयन पड़ा है,
ढहे हुए ऊँचे ढेरों पर
बचा हुआ संयमन खड़ा है,
गहन अँधेरा तुहिन बहुत है,
नई तेजवत्ता तृष्णाओं


का अनुमानित वर्तमान है,
दृष्टि नई, रवि दीप्त, नया है

 
सोनजुही के फूलों की-सी,
एक नई ख़ुशबू आई है,
पीपल के पत्तों की बजती,
बौआई-सी शहनाई है,
संकेतों की यह भाषा है,
लोग समझ लेंगे, आशा है,


पूरी कथा नहीं लिख सकता,
जो कुछ है संक्षिप्त, नया है 

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