कर्मफल

सुधीर श्रीवास्तव (अंक: 182, जून प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

वर्ण पिरामिड


(1)
हे
प्राणी
तेरे तो
कर्मफल
का लेखा जोखा
तैयार हो रहा
बस भोगना तुझे ।
(2)
ये
सच
भूलो न
हर कर्म
फलित होगा
अच्छा हो या बुरा
सोचिए क्या करेंगें।
(3)
वो
सब
देखता
खाता बही
सारी बनाता
हरेक पल का
बिना भूले बिसरे।

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