कहाँ लिखूँ
बृजेश कुमारकहाँ लिखूँ तेरा नाम दुनिया से छुपा के
कुछ भी तो नहीं मेरे पास जो नुमाया ना हो
अपनी काया के कण-कण में देखा
ऐसा भी तो कुछ नहीं जिसमें तू समाया ना हो
मेरी पलकों की परछाईयों में
मेरे दिल की गहराईयों में
मेरे अन्तर्मन और
जीवन की तनहाइयों में
कहाँ लिखूँ.............