कायर, धोखेबाज़ जने, जने नहीं क्यों बोस!!

01-02-2021

कायर, धोखेबाज़ जने, जने नहीं क्यों बोस!!

डॉ. सत्यवान सौरभ (अंक: 174, फरवरी प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

कैसे भूले बोस को, सौरभ हिन्दुस्तान!
क़तरा-क़तरा ख़ून का, उनका यहाँ क़ुर्बान!!
 
बच्चा-बच्चा बोस का, ऐसा हुआ मुरीद!
शामिल होकर फ़ौज में, होने चला शहीद!!
 
भारत के उस बोस की, गाथा बड़ी महान!
अपनी मिट्टी के लिए, छोड़ा सकल जहान!!
 
कब दुश्मन से थे झुके, जीए बोस प्रचंड!
नहीं गुलामी को सहा, सहा न कोई दंड!!
 
भारत उनकी आन था, भारत पहला धर्म!
भारत ही था बोस का, सबसे पहला कर्म!!
 
एक सभी से बात ये, पूछे आज सुभाष!
सौरभ क्यों है दिख रही, भारत माँ उदास!!
 
भारत माँ की कोख पर, होता अब अफ़सोस!
कायर, धोखेबाज़ जने, नहीं जने क्यों बोस!!

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

सामाजिक आलेख
साहित्यिक आलेख
दोहे
सांस्कृतिक आलेख
ललित निबन्ध
पर्यटन
चिन्तन
स्वास्थ्य
सिनेमा चर्चा
ऐतिहासिक
कविता
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में