जीवन के वसंत
गौतम कुमार 'सागर'जीवन के दसवें वसंत पर
भी जीवन कहाँ
सुखों के गुलाबों से
भरा था?
जीवन में दुःख थे
क़िस्म क़िस्म के दुःख
रंग बिरंगे दुःख
दुःख था पतंग के कट जाने का
दुःख था गली के मोटे लड़के
द्वारा चिढ़ाए जाने का
दुःख था हमेशा
हिस्से में एक मिठाई
एक समोसा आने का
दुःख था
अमिताभ की नयी पिक्चर
ना देख पाने का
दुःख था
माँ की समझ में ना
आने वाले आँसू का
दुःख था स्पाइडर मैन
वाली ड्रेस
ना ख़रीद पाने का
दुःख था
कक्षा में
टीचर की नज़र में
रोल नंबर १ का रुतबा न रख
पाने का
जीवन के बीसवें वसंत पर
आँखों के अनगिनत
दराज़ों में
छुपी थीं हज़ार ख़्वाहिशों की
ख़ुशबूदार शीशियाँ
लेकिन
दुःख था
ना आई आई टी
ना मेडिकल
ना चार्टर्ड एकाउंटेंसी
में कुछ हो सका
दुःख था
कामयाब मित्रों
की घेरती परछाइयों से
दुःख था
करियर के चौराहे पर
उपजे कुहासे में
कोई रास्ता सही सही
ना समझ में आ रहा था
दुःख था
एक मुस्कुराते चेहरे
ने दिल लेकर
उसपर कालिख पोतकर
लौटा दिया
दुःख था
दुःख से ज़्यादा ग़ुस्सा था
ग़ुस्से से ज़्यादा प्रेम भी था
मगर उस प्रेम
को समझने वाला कोई नहीं
दुःख था
महँगे ब्रांड के शो रूम में
सेल्स मैन द्वारा
हिक़ारत से देखे जाने का
दुःख था
हीरो जैसी बॉडी और पर्सनैलिटी
के सामने
फीके तारे सा दिखे जाने का
जीवन के तीसवें वसंत में
पाँच साल पुरानी नौकरी थी
तीन साल पुरानी गृहस्थी
और एक साल का
मेरा छोटा रूप
दुःख था
अब केवल दुःख नहीं
तनाव भी था
तनाव दफ़्तर के
टारगेट ओरिएंटेड कामों का
तनाव था
बॉस की टेढ़ी नज़र का
तनाव था बजट के खींच तान का
तनाव था
घर के छुटपुट झगड़ों का
तनाव था
प्रमोशन में
पीछे छूट जाने का
तनाव था घर की किश्त का
चिंता थी
माँ के बुढ़ापे की
पिता की बीमारी की
जीवन के चालीसवें वसंत में
दुःख था
मगर वह नया नहीं था
उसकी आदत बन गयी थी
दुःख था
मगर
वह मैनेजबल था
टोलेरेबल था
भले कोई ख़ास वज़ह नहीं थी
मगर जीने की जद्दोदजेहद थी
जीवन पर ख़ुद का अधिकार कम
दूसरों का ज़्यादा था
जीवन की नदी
पहाड़ों से
मैदानों में पूरी तरह
उतर चुकी थी
गहराई थी
ठहराव था
जीवन के पचासवें वसंत में
जीवन के सातवे वसंत में
जीवन के .......वसंत में
दुःख का पुष्प
सदैव
अलग-अलग डालियों पर
अलग-अलग पंखुरियों के साथ
खिला रहा ...
लेकिन जीवन जीने की चाहत
का भौंरा
मंडराता रहा!