जीवन जीने के लिए लड़े जाने वाले अंतहीन युद्ध को समर्पित है पुस्तक ’यही सफलता साधो’

15-07-2021

जीवन जीने के लिए लड़े जाने वाले अंतहीन युद्ध को समर्पित है पुस्तक ’यही सफलता साधो’

आशीष तिवारी निर्मल (अंक: 185, जुलाई द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

पुस्तक का नाम - यही सफलता साधो
रचनाकार: कवि संदीप द्विवेदी
प्रकाशक: ब्ल्यूरोज़
संस्करण: प्रथम (मार्च 2021)
मूल्य: 160 रुपये

अपने दौर को तो सभी साहित्यकार अपनी क़लम के माध्यम से दर्ज करने का सफल प्रयास करते हैं, लेकिन ऐसे चंद ही रचनाकार होते हैं, जिन्हें उनका दौर इतिहास में उनके प्रभावी लेखन के कारण कुछ ख़ास तरह से दर्ज करता है। जी हाँ! मैं आज एक ऐसे ही उर्जावान रचनाकार और उनकी रचनात्मकता की चर्चा करने जा रहा हूँ, जो अपने सुघड़ लेखन के कारण हिन्दुस्तान और हिन्दुस्तान के बाहर सुने जाते हैं और पढ़े जाते हैं। कवि श्री संदीप द्विवेदी देश के उन युवा रचनाकारों की श्रेणी में आते हैं जो किसी भी पाठक या श्रोता के हृदय में सदैव सकारात्मक प्रभाव डालते हैं। कवि संदीप द्वारा विरचित काव्य कृति "यही सफलता साधो" प्राप्त हुई। पुस्तक के मुख्य आवरण पर कवि के स्वयं के मुस्कुराते हुए चेहरे की तस्वीर छपी है जिसे देखकर ही पाठक के मन में एक सकारात्मक उर्जा का संचार महसूस होता है। 'यही सफलता साधो' नामक यह अनुपम कृति उन पाठकों के लिए तो बिलकुल ही नहीं है जिन्हें सरल शब्दों में लिखी गंभीर रचनाओं से परहेज़ है। जिनके लिए पुस्तक पढ़ने का सीधा मतलब अपनी आत्मा को अपने विचारों को विस्तार देने से ज़्यादा  थकी-हारी इन्द्रियों को आराम देना या सेंकना भर है। यह पुस्तक उनके लिए भी कदापि नहीं है जो संघर्षों से घबराते हैं और घोंघे की तरह अपने खोलों में दुबके रहने के आदी हो चुके हैं। 

प्रस्तुत कृति की पहली रचना "यदि राम सा संघर्ष हो बोलो, कहाँ तक टिक सकोगे तुम"  ही मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी के संघर्षमयी जीवन के प्रत्येक पहलू को समेटे हुए बड़े ही सलीक़े से रचनाकार द्वारा लिखी गई है जो मानव को संघर्षों से डरने नहीं अपितु डटकर मुक़ाबला करने की प्रेरणा देती है। समाज में रहने वाले निम्न वर्गीय आदमी के जीवन का कुल योगफल अनंत भूख, बुनियादी सुविधाओं का लगातार इंतज़ार, बेसमय साध्य बीमारियों से होती मौंतें! वहीं बहुत से लोगों के जीवन में बहुत कुछ घटनाक्रम ऐसे भी होते हैं जिससे इंसान को लगने लगता है कि वह दुनिया का सबसे ग़ैरज़रूरी व्यक्ति है। जीवन में जब ख़ास चीज़ें सपने सी प्रतीत होने लगती हैं क्योंकि वहाँ आम चीज़ों को पाने में ही सारी ऊर्जा निचुड़ जाती है। कवि संदीप द्विवेदी का यह काव्य संग्रह बेहद से बेहद मामूली आदमी के जीवन, उसके संघर्ष और जीवन जीने के लिए लड़े जाने वाले अंतहीन युद्ध को समर्पित है। रचनाकार द्वारा आम और मामूली लोगों के लिए बेहद प्रेरणास्पद ख़ास कविताएँ लिखी गई हैं जो अपने मर्म से अंतस् तक छूती हैं। कृति ’यही सफलता साधो’ की अधिकतम रचना पाठक के अंदर अपार सकारात्मक ऊर्जा का संचार कराने में सौ प्रतिशत सफल है। ज़्यादातर कविताएँ पाठकों की थकान उतारकर मीठा सा मुस्कुराने को प्रेरित करती हैं। 

कवि संदीप द्वारा लिखी कविताएँ अलग-अलग रस और रंगों से भरी हैं, इन्द्रधनुषी कविताओं का यह संग्रह बहुत भीतर तक छूता है आनंदित करता है। सभी कविताएँ समूची मानव जाति को जीवन में कभी संघर्षों से नहीं घबराने की प्रेरणा देती हैं। यह काव्य संग्रह युवाओं को भी ध्यान में रखकर तैयार किया गया है जिसमें कुछ रचना प्रेम मनुहार मिज़ाज की सम्मिलित की गई हैं। आशा करता हूँ कवि संदीप द्विवेदी जी की निकट भविष्य में पुन: कोई नया काव्य संग्रह पाठकों के हाथ में होगा जो आमजन को समाज को देश को साहित्य को नई दिशा, दशा देने में सक्षम होगा।

अनंत शुभकामनाओं सहित।

पुस्तक समीक्षक 
आशीष तिवारी निर्मल
HN.702 लालगांव रीवा
मध्य प्रदेश
8602929616

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