जीना इसी का नाम है

15-07-2021

जीना इसी का नाम है

निर्मल कुमार दे (अंक: 185, जुलाई द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

घने कोहरे को चीरता
देखा जो उगता सूरज
बात समझ में आई
जीना इसी का नाम है
 
कल कल करती
आगे बढ़ती
जो देखी झरने की धारा
बात समझ में आई
जीना इसी का नाम है।
 
जेठ की धूप में तापित जल
दूर गगन में लिया बसेरा
धरती की प्यास मिटाने को
जो सावन में बरसते देखा
बात समझ में आई
जीना इसी का नाम है।
 
काँटों के बीच खिलते देखा
अपना सौरभ बिखेरते देखा
देखा जो फूल गुलाब
बात समझ में आई
जीना इसी का नाम है।

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