झूठ कहने की चाह की जाए
ज़िंदगी क्यूँ तबाह की जाए
दिल लगाया तो ये ज़रूरी है
चोट खाकर के वाह की जाए
वो अदाओं से मारते हैं मुझे
चाहते पर ना आह की जाए
जब ख़ुदा है बसा तेरे दिल में
काहे काबे की राह की जाए
जहाँ उम्मीद हो ना मरहम की
क्यूँ वहाँ पर कराह की जाए
सामने जब हो फ़ैसले की घड़ी
अपने दिल से सलाह की जाए