जहाँ प्रेम है वहीं जीवन है

15-07-2021

जहाँ प्रेम है वहीं जीवन है

नीतू झा (अंक: 185, जुलाई द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

तुम्हारे लिए सिर्फ़ बँधना प्रेम है
मेरे लिए तुम्हारा होना ही प्रेम है
अनंत है जीवन मृत्यु का भेद
प्रेम को प्रेम से समझना ही प्रेम है।
तुम ढूँढ़ रहे हो . . . भटक रहे हो . . . 
भाग रहे हो . . . ख़ुद से
मैं स्थिर हूँ शांत हूँ तुम में . . . 
क्योंकि मुझे तुम ही तुम मिले हो।
तुम नाराज़ हो मुझसे, ख़ुद से, संसार से
पर मुझे तो सबमें प्रेम ही प्रेम दिखता है
यह दुनिया टिकी है प्रेम के बल पर ही
प्रेम ही आनंद का स्रोत है
जहाँ प्रेम है वहीं जीवन है
प्रेम को ठुकराना
जीवन को ठुकराना है ।
 

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