जग में नाम कमाओ
नरेंद्र श्रीवास्तवअद्भुत साहस वाली हैं
जिनकी अमर कथायें।
आओ बच्चो उन नन्हों की
गाथा तुम्हें सुनायें॥
सतयुग में एक बालक नन्हा
रोहताश्व था नाम।
वचन निभाने त्यागा जिसने
संग पिता निज धाम॥
अश्वमेध का घोड़ा रोका
नन्हे थे लवकुश बालक।
राम-सेना हुई पल में मूर्छित
बाण चलाये जब घातक॥
धन्य - धन्य है प्रहलाद पुत्र
धन्य - धन्य है भक्ति।
खंभे से भगवान प्रगट हों
धन्य - धन्य है शक्ति॥
एकलव्य बालक ने सीखा
गुरूमूरत से धनुष चलाना।
गुरू दक्षिणा में दे अंगूठा भी
मारे अचूक निशाना॥
नन्हे अभिमन्यु ने वीरता के
करतब अजब दिखाये।
चक्रव्यूह को भेदकर जिसने
हँसकर प्राण गँवाये॥
छोटी आयु में तप करके
जग में नाम कमाया।
चमक रहा है तारा बनकर
वह भक्त ध्रुव कहलाया॥
देशहित चुन गये दीवार में
अमर रहे बलिदान।
गुरू गोविंद के दो पुत्रों का
जग में कार्य महान॥
करो प्रतिज्ञा बच्चे तुम भी
काम देश के आओ।
वीर, साहसी, त्यागी बनकर
जग में नाम कमाओ॥
0 टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
- कविता
- लघुकथा
- गीत-नवगीत
-
- अपने वो पास नहीं हैं
- एहसास नहीं . . .
- कोरोना का दंश
- चहुँ ओर . . .
- चाहत की तक़दीर निराली
- तुझ बिन . . .
- तेरे अपनेपन ने
- धूल-धूसरित दुर्गम पथ ये . . .
- प्यार हुआ है
- प्रीत कहे ये . . .
- फागुन की अगवानी में
- फिज़ा प्यार की
- शिकवा है जग वालों से
- सच पूछो तनहाई है
- साथ तुम्हारा . . .
- साथ निभाकर . . .
- सावन का आया मौसम . . .
- सोलह शृंगार
- बाल साहित्य कविता
-
- एक का पहाड़ा
- घोंसला प्रतियोगिता
- चंदा तुम प्यारे लगते
- चिड़िया और गिलहरी
- चूहा
- जग में नाम कमाओ
- टीचर जी
- डिब्बे-डिब्बे जुड़ी है रेल
- देश हमारा . . .
- परीक्षा कोई भूत नहीं है
- पुत्र की जिज्ञासा
- पौधा ज़रूर लगाना
- फूल और तोता
- बारहामासी
- भालू जी की शाला
- मच्छर
- मुझ पर आई आफ़त
- ये मैंने रुपये जोड़े
- वंदना
- संकल्प
- स्वर की महिमा
- हरे-पीले पपीते
- हल निकलेगा कैसे
- ज़िद्दी बबलू
- हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी
- किशोर साहित्य कविता
- कविता - हाइकु
- किशोर साहित्य आलेख
- बाल साहित्य आलेख
- काम की बात
- किशोर साहित्य लघुकथा
- हास्य-व्यंग्य कविता
- विडियो
-
- ऑडियो
-