अद्भुत साहस वाली हैं
जिनकी अमर कथायें।
आओ बच्चो उन नन्हों की
गाथा तुम्हें सुनायें॥
सतयुग में एक बालक नन्हा
रोहताश्व था नाम।
वचन निभाने त्यागा जिसने
संग पिता निज धाम॥
अश्वमेध का घोड़ा रोका
नन्हे थे लवकुश बालक।
राम-सेना हुई पल में मूर्छित
बाण चलाये जब घातक॥
धन्य - धन्य है प्रहलाद पुत्र
धन्य - धन्य है भक्ति।
खंभे से भगवान प्रगट हों
धन्य - धन्य है शक्ति॥
एकलव्य बालक ने सीखा
गुरूमूरत से धनुष चलाना।
गुरू दक्षिणा में दे अंगूठा भी
मारे अचूक निशाना॥
नन्हे अभिमन्यु ने वीरता के
करतब अजब दिखाये।
चक्रव्यूह को भेदकर जिसने
हँसकर प्राण गँवाये॥
छोटी आयु में तप करके
जग में नाम कमाया।
चमक रहा है तारा बनकर
वह भक्त ध्रुव कहलाया॥
देशहित चुन गये दीवार में
अमर रहे बलिदान।
गुरू गोविंद के दो पुत्रों का
जग में कार्य महान॥
करो प्रतिज्ञा बच्चे तुम भी
काम देश के आओ।
वीर, साहसी, त्यागी बनकर
जग में नाम कमाओ॥