पल की सुधि में युग बीत गए,
जाने जीवन किस ओर चला॥
जिस पल से मन के मीत गए,
जाने दर्पण किस ओर चला॥
वो माँग सिंदूरी श्वेत हुई,
जाने यौवन किस ओर चला॥
जिस पल से मन के मीत गए,
जाने जीवन किस ओर चला॥
है लाली चूनर तार-तार,
जाने कंगन किस ओर चला॥
वो मीठी बातें प्रियतम की,
वो मधुर मिलन किस ओर चला॥
जिस पल से मन के मीत गए,
जाने जीवन किस ओर चला॥