जा भाई करोना

01-01-2021

जा भाई करोना

दीप्ती देशपांडे गुप्ता (अंक: 172, जनवरी प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

मेरे मोहल्ले में खेलों का मेला,
और चौराहे पर वो चाय का ठेला,
हर कोई है तेरी दहशत गर्दी में क़ैद,
सिखा दिया तूने  हमें 
इन साँसों तक को ढकना,
अब जा भाई करोना 
जा भाई करोना॥
 
पैसों की क़द्र और रिश्तों की क़ीमत, 
हम जान गये सेहत की भी एहमियत,
तूने तेरा काम कर दिया,
अब हमें भी कुछ करने देना,
जा भाई करोना 
जा भाई करोना॥
 
तेरे आने से अपनों ने 
अपनों को खोया,
कितनों के टूटे दिल 
मगर तू एक आँसू ना रोया,
हमें उसकी ज़रूरत नहीं 
जिसका है पत्थर का सीना,
अब जा भाई करोना 
जा भाई करोना॥
 
माना कि  तूने इस धरती का 
थोड़ा उद्धार कराया
फिर से प्रकृति में जान फूँकी 
और मेरी गंगा को पावन बनाया,
ऋणी हैं हम तेरे, मगर –
बंद कर अब ब्याज का बढ़ाना,
जा भाई करोना 
अब जा भाई करोना॥
 

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