रिश्ते कितने कठिन
बनाने भी
निभाने भी
पहले ख़ाली
इतवार ढूँढ़ो
फिर बहाना
जाना; नहीं जाना
रिश्ता दूर का
पास का
बुलाना; नहीं बुलाना
अमीर या ग़रीब
घर से
दिल से
दूर या क़रीब
चलें या न चलें
चलो घर पर
मनाते हैं रिश्ते
संडे है न
रिश्ते फिर कभी