ईश्वर सत्य को देखता है लेकिन इंतज़ार करता है

01-10-2019

ईश्वर सत्य को देखता है लेकिन इंतज़ार करता है

बी एम नंदवाना

गॉड सीज़ द ट्रुथ बट वेट्स – लिओ एन. टॉलस्टॉय (मूल लेखक)

अनुवादक : बी एम नंदवाना

 

व्लादिमीर क़स्बे में इवान दमित्रिच एक्सिओनोव नामक एक युवा व्यापारी रहता था। उसकी ख़ुद की दो दुकानें थीं तथा एक मकान था। एक्सिओनोव एक ख़ूबसूरत, घने-घुँघराले बालों वाला, गाने-बजाने का शौक़ीन मस्त-मौला व्यक्ति था। कुछ वर्षों पहले तक, उसे शराब पीने की लत थी, और जब अधिक पी लेता था तो उत्पात मचाता था; परन्तु शादी के बाद उसने शराब छोड़ दी थी, कुछ ख़ास अवसरों को छोड़कर।

एक बार गर्मियों में एक्सिओनोव निज़नी के मेले में जा रहा था, और जब उसने परिवार से विदा लेनी चाही तो उसकी पत्नी ने उससे कहा, “इवान दमित्रिच, मेले के लिए आज मत निकलो, मैंने तुम्हारे बारे में एक बुरा सपना देखा है।”  

एक्सिओनोव हँसा, और कहा, “तुम्हें कहीं इस बात का डर तो नहीं है कि मेले में जाकर मुझे शराब पीने का भूत सवार हो जाएगा।”

उसकी पत्नी ने जवाब दिया, “मुझे नहीं मालूम मुझे किस बात का डर लग रहा है; मैं बस इतना जानती हूँ कि मैंने एक बुरा सपना देखा है। मैंने सपने में देखा कि शहर से वापस आए हो, और जब तुम अपनी टोपी उतारते हो, मैं देखती हूँ कि तुम्हारे बाल काफी सफ़ेद हो गए हैं।”

एक्सिओनोव हँसा। “अरे! यह तो शुभ संकेत है,” उसने कहा। “देखना, मैं अपना सारा सामान बेच कर तुम्हारे लिए मेले से एक अच्छा-सा तोहफ़ा लेकर आऊँगा।”

उसने परिवार से विदा ली, और रवाना हो गया। 

जब उसने आधा सफ़र तय किया, उसे एक व्यापारी मिला, जिसे वह पहले से जानता था, और वे रात्रि-विश्राम के लिए एक ही सराय में ठहर गए। उन्होंने साथ-साथ चाय पी, और फिर आस-पास के कमरों में सोने के लिए चले गए।

एक्सिओनोव की आदत देर रात को सोने की नहीं थी, जल्दी सफ़र शुरू करने के इरादे से उसने गाड़ीवान को पौ फटने से पहले ही उठा दिया था और घोड़ों को गाड़ी में जोतने के लिए कह दिया था।

फिर वह सराय-मालिक (जो पीछे की तरफ़ एक कॉटेज में रहता था।) के पास गया, बिल का भुगतान किया, और अपनी आगे की यात्रा शुरू की।
क़रीब बीस-पच्चीस मील जाने के बाद, वह घोड़ों को दाना-पानी देने के लिए रुका। एक्सिओनोव कुछ समय के लिए सराय के गलियारे में सुस्ताया और फिर वह बाहर निकलकर पोर्च में आ गया, और समोवार (चाय की केतली) को गर्म करने के लिए कह कर, उसने गिटार निकाला और बजाने में मस्त हो गया।

अचानक एक तीन घोड़ों की बग्गी, घंटियाँ टनटनाती, वहाँ आई, और एक अधिकारी नीचे उतरा, उसके साथ दो सिपाही थे। वह एक्सिओनोव के पास आया और उससे पूछताछ करने लगा कि वह कौन था, कहाँ से आया था। एक्सिओनोव ने उसे विस्तार से बताया, और कहा, “क्या तुम मेरे साथ चाय पीना पसंद करोगे?” परन्तु वह अधिकारी सवाल-जबाब करता रहा और उससे पूछा, “पिछली रात तुमने कहाँ बिताई थी? क्या तुम अकेले थे? या किसी साथी-व्यापारी के साथ थे? क्या आज सुबह तुमने उस व्यापारी को देखा था? तुमने सवेरा होने से पहले ही सराय क्यों छोड़ दी?”

एक्सिओनोव को आश्चर्य हुआ कि ये सारे सवाल उससे क्यों पूछे जा रहे थे, ख़ैर, उसने जो कुछ हुआ था, उसका पूरा विवरण दिया, और कहा, “तुम क्यों मुझ से इस तरह की पूछताछ कर रहे हो, क्या मैं कोई चोर-उचक्का हूँ या कोई डकैत? मैं मेरे व्यापार के सिलसिले में यात्रा पर हूँ, और मुझ पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है।”

तब उस अधिकारी ने सिपाहियों को बुलाते हुए कहा, “मैं इस ज़िले का पुलिस-अधिकारी हूँ, और मैं तुमसे इसलिए पूछ-ताछ कर रहा हूँ क्योंकि जिस व्यापारी के साथ तुमने पिछली रात बिताई थी, उसकी गला काट कर हत्या का दी गई है। हमें तुम्हारी तलाशी लेनी पड़ेगी।” 

वे मकान के अन्दर घुसे, सिपाहियों और पुलिस-अधिकारी ने एक्सिओनोव के सामान को खोला, और तलाशी लेने लगे, अचानक उस अधिकारी ने चिल्लाते हुए एक बैग में से चाक़ू निकाला, “यह चाकू किस का है?”

एक्सिओनोव ने नज़र डाली, और उसके बैग से निकले ख़ून से सने चाकू को देखकर, वह भयभीत हो गया।

“इस चाकू पर यह ख़ून, कैसे. . .?”

एक्सिओनोव ने जवाब देने की कोशिश की, लेकिन वह एक शब्द भी मुश्किल से बोल पाया। केवल हकलाया, “मैं – नहीं जानता - मेरा नहीं है।”  तब पुलिस-अधिकारी ने कहा, “आज सुबह वह व्यापारी अपने बिस्तर पर मृत पाया गया, उसका गला कटा हुआ था। तुम ही वह शख़्स हो, जिसने यह किया है। कमरा अन्दर से बंद था, और वहाँ और कोई नहीं था। ख़ून से सना यह चाकू यहाँ तुम्हारे बैग में है और तुम्हारा चेहरा और तुम्हारे हाव-भाव सब कुछ बता रहें हैं! तुम मुझे बताओ तुमने उसे कैसे मारा, और उसका कितना धन चुराया?”

एक्सिओनोव ने क़सम खाई कि उसने क़त्ल नहीं किया था; कि उसने उस व्यापारी को, चाय पीने के बाद, देखा तक नहीं था; कि उसके पास ख़ुद के आठ हज़ार रूबल के अलावा कोई धन-राशि नहीं थी, और कि वह चाकू उसका नहीं था। परन्तु उसकी आवाज़ खंडित थी और चेहरा सफ़ेद-झक्क, वह भय के मारे इस कदर काँप रहा था मानो वही अपराधी था।

पुलिस-ऑफ़िसर ने सिपाहियों को एक्सिओनोव को बाँधने और उसे बग्गी में बिठाने का आदेश दिया। जैसे ही उन्होंने उसके पाँव एक साथ बाँधे और उसे बग्गी में पटका, एक्सिओनोव ने क्रॉस का चिन्ह बनाया और रो पड़ा। उसका सारा सामान और आठ हज़ार रूबल ले लिए गए, और उसे पास के क़स्बे में भेज दिया गया और वहाँ बंदी बना लिया गया। व्लादिमीर क़स्बे में उसके चरित्र के बारे में छान-बीन की गई। उस क़स्बे के व्यापारियों और अन्य निवासियों ने बताया कि कुछ वर्षों पहले वह शराब पिया करता था और अपना समय बर्बाद किया करता था, लेकिन वह एक अच्छा व्यक्ति था। उस पर मुक़दमा चला: उस पर आरोप था कि उसने रयाजान क़स्बे के एक व्यापारी का क़त्ल किया था और उसके बीस हज़ार रूबल लूट लिए थे।

उसकी पत्नी हताश थी, और नहीं जानती थी किस पर विश्वास करे। उसके बच्चे बहुत छोटे थे; एक तो दूध-पीता बच्चा था। उन सबको साथ लेकर, वह उस क़स्बे में गई, जहाँ उसके पति को बंदी बना कर रखा गया था। पहले तो उसे अपने पति से मिलने की अनुमति नहीं मिली; परन्तु बाद में, बहुत अनुनय-विनय करने पर, अधिकारियों के आदेश पर, उसे बंदी के पास लाया गया। जब उसने अपने पति को क़ैदी के कपड़ों में और ज़ंजीरों में, चोरों-उचक्कों और अपराधियों के साथ जेल में देखा, वह बेहोश हो कर गिर पड़ी, और काफ़ी समय तक वह होश में नहीं आई। फिर उसने अपने बच्चों को अपने पास खींच लिया, और अपने पति के पास बैठ गई। उसे घर-परिवार की बातें बताईं, और उसके साथ जो बीती उसके बारे में पूछा। पति ने उसे सब कुछ बताया, और पत्नी ने पूछा, “अब हम क्या कर सकते हैं?” 

“हमें ज़ार को याचिका देनी होगी कि एक निर्दोष व्यक्ति को सज़ा नहीं मिलनी चाहिए।”

उसकी पत्नी ने उसे बताया कि वह पहले ही ज़ार को याचिका दे चुकी थी, लेकिन उसे स्वीकार नहीं किया गया।

एक्सिओनोव ने ज़बाब नहीं दिया, बस मायूसी के साथ नीचे की ओर देखता रहा।

तब उसकी पत्नी ने कहा, “वह ऐसे ही नहीं था कि मैंने तुम्हारे सफ़ेद बाल हो जाने का सपना देखा था। तुम्हें याद है? तुम्हें उस दिन रवाना नहीं होना चाहिए था।” और उसके बालों पर अपनी उँगलियाँ घुमाते हुए उसने कहा, “मेरे प्यारे वेन्या, अपनी पत्नी को सच-सच बताओ; क्या वह तुम नहीं थे, जिसने वह सब किया?”

“अच्छा तो, तुम भी मुझ पर संदेह करती हो! एक्सिओनोव ने कहा, और, अपने हाथों से अपना मुँह छिपाते हुए, वह रो पड़ा। उसी समय एक सिपाही यह कहने के लिए आया कि उसकी पत्नी और बच्चों को अब चले जाना चाहिए; और एक्सिओनोव ने अपने परिवार को आख़िरी बार अलविदा कहा। 

जब वे चले गए, एक्सिओनोव ने जो बात-चीत हुई उसे याद किया, और जब उसे याद आया कि उसकी पत्नी भी उस पर शक कर रही थी, उसने स्वयं से कहा, “ऐसा लगता है कि केवल भगवान् ही सत्य को जान सकता है; केवल वही है जिसके सामने हमें अपील करनी चाहिए, और केवल उसी से दया की आशा है।”

और एक्सिओनोव ने और कोई अपील दायर नहीं की; कहीं कोई आशा न बाँधकर, वह केवल भगवान् से प्रार्थना करता रहा।

एक्सिओनोव को कोड़े मारने की सज़ा दी गयी और खदानों पर भेज दिया गया। वहाँ उसे कोड़े मारे गए, और जब कोड़ों की मार के घाव भर गए, उसे दूसरे अपराधियों के साथ साइबेरिया ले जाया गया। 

छब्बीस वर्षों तक एक्सिओनोव साइबेरिया में एक अपराधी के रूप में रहा। उसके बाल बर्फ-से सफ़ेद हो गए, और उसकी दाढ़ी बढ़कर लम्बी, छितरी और सफ़ेद हो गई। उसकी सारी हँसी-ख़ुशी जाती रही; उसके कंधे झुक गए; अब वह धीरे-धीरे चलता, कम बोलता, और अक्सर प्रार्थना करता रहता था। 

क़ैदखाने में एक्सिओनोव ने जूते बनाना सीख लिया था, और थोड़ा-बहुत कमा लेता था, उस थोड़ी-सी कमाई से उसने द लाइव्ज़ ऑफ़ द सेंट्स ख़रीदी। जब भी जेल में पर्याप्त रोशनी रहती, वह उस पुस्तक को पढ़ता; और रविवार को जेल की चर्च में शिक्षा पढ़ता, और गायन-मण्डली के साथ गाता; उसकी आव़ाज अब भी अच्छी थी।

जेल के अधिकारी उसकी विनम्रता के कारण उसे पसंद करते थे, और उसके साथी-क़ैदी उसका आदर करते थे: वे उसे “दादा” या “संत” कहते। जब भी उन्हें जेल अधिकारियों को किसी भी प्रकार की फ़रियाद करनी होती, वे एक्सिओनोव को अपना प्रवक्ता बनाते, और जब क़ैदियों में आपस में झगड़ा होता, निपटारे के लिए वे उसके पास आते थे एक्सिओनोव को अपने घर-परिवार की कोई सूचना नहीं थी, और उसे यह भी मालूम नहीं था कि उसकी पत्नी और बच्चे ज़िंदा भी थे या नहीं।

एक दिन क़ैदियों की एक नई टोली क़ैदखाने में आई। शाम के समय पुराने क़ैदी नए क़ैदियों के इर्द-गिर्द इकट्ठे हुए और पूछने लगे कि वे किस क़स्बे अथवा शहर से आये थे, और उन्हें सज़ा किन-किन कारणों से मिली थी। साथी-क़ैदियों के साथ एक्सिओनोव भी उन नवागुन्तकों के पास बैठ गया, और खिन्न मन से उनकी बातें सुनने लगा।

उन नए अपराधियों में से एक, ऊँचे क़द का, साठ साल का मज़बूत काठी वाला आदमी, जिसकी सफ़ेद दाढ़ी क़रीने से छँटी हुई थी, दूसरे क़ैदियों को बता रहा था कि उसे क्यों गिरफ़्तार किया गया था।

“अच्छा, दोस्तो,” उसने कहा, “मैंने केवल बर्फ़-गाड़ी से बँधे एक घोड़े को खोल लिया था, और मुझे पकड़ कर मेरे ऊपर चोरी का इल्ज़ाम लगा दिया। मैंने जल्दी से घर पहुँचने के लिए घोड़ा लिया था, और फिर मैंने उसे छोड़ दिया था, इसके अलावा, गाड़ी का चालक मेरा मित्र था। अतः मैंने उनसे कहा, ‘मैंने कुछ भी ग़लत नहीं किया है।’ ‘नहीं’ उन्होंने कहा, ‘तुमने उसे चुराया है।’ पर मैंने उसे कैसे या कहाँ से चुराया था यह वे नहीं बता पाए। हाँ, एक बार वास्तव में, मैंने ग़लत काम किया था, और न्याय की दृष्टि से मुझे बहुत पहले यहाँ आ जाना चाहिये था। परन्तु उस समय मैं नहीं पकड़ा गया। और अब मुझे बिना किसी कारण के यहाँ भेज दिया गया है…। आह, यह सब झूठे-सच्चे  क़िस्से हैं जिन्हें मैं तुम्हें सुना रहा हूँ। मैं पहले भी साइबेरिया आ चुका हूँ, लेकिन मैं ज़्यादा समय तक यहाँ नहीं रुका था।”

“तुम कहाँ से हो?” किसी ने पूछा।

“व्लादिमीर से। मेरा परिवार उसी क़स्बे से है। मेरा नाम माकर है, और वे मुझे सेम्योनिच कह कर भी बुलाते हैं।”

एक्सिओनोव ने अपना सिर उठाया और कहा, “मुझे बताओ, सेम्योनिच, क्या तुम व्लादिमीर क़स्बे के एक्सिओनोव व्यापारियों के बारे में कुछ जानते हो? क्या वे जीवित हैं?”

“उन्हें जानते हो? भाई, अच्छी तरह से जानता हूँ, एक्सिओनोव परिवार काफ़ी संपन्न है, हालाँकि उनके पिता साइबेरिया में हैं: हमारी तरह ही एक गुनाहगार, ऐसा लगता है! दादा, तुम अपने बारे में बताओ, तुम यहाँ कैसे आये?”

एक्सिओनोव अपने दुर्भाग्य की चर्चा नहीं करना चाहता था, उसने बस आह भरी, और कहा, “अपने पापों की वज़ह से मैं छब्बीस सालों से जेल में हूँ।”

“कौन से पाप?” माकर सेम्योनिच ने पूछा।

एक्सिओनोव ने केवल इतना कहा, “देखो, शायद मैं इसी के लायक था।”  वह इसके अलावा कुछ नहीं कहना चाहता था, परन्तु उसके साथियों ने नवागंतुकों को बता दिया कि एक्सिओनोव किस वज़ह से साइबेरिया लाया गया था; कैसे किसी ने एक व्यापारी की हत्या की और एक्सिओनोव के सामान में चाक़ू रख दिया, और एक्सिओनोव को अन्यायपूर्वक अपराधी ठहरा दिया गया था।

जब माकर सेम्योनिच ने यह सुना, उसने एक्सिओनोव को ध्यान से देखा, अपने घुटने पर धौल जमाया, और चिल्लाया, “ओह, यह आश्चर्यजनक है! वास्तव में चकित कर देने वाला! पर तुम कितने बूढ़े हो गए हो, दादा!”

एकत्रित क़ैदियों ने उससे पूछा, वह इतना आश्चर्यचकित क्यों था, और उसने एक्सिओनोव को पहले कहाँ देखा था; परन्तु माकर सेम्योनिच ने जबाब नहीं दिया। उसने केवल इतना कहा: “यह आश्चर्यजनक है कि हम यहाँ मिले, साथियो!”

इन शब्दों ने एक्सिओनोव को अचम्भित कर दिया क्या यह आदमी जानता है कि व्यापारी की हत्या किसने की थी; अतः उसने कहा, “सेम्योनिच, क्या तुमने उस घटना के बारे में सुना है, या तुमने मुझे पहले कहीं देखा है?”

“यह संसार अफ़वाहों का भण्डार है। परन्तु यह बहुत पुरानी बात है, और जो मैंने सुना था, उसे मैं भूल चुका हूँ।”

“शायद तुमने सुना हो उस व्यापारी की हत्या किसने की थी?” एक्सिओनोव ने पूछा।

माकर सेम्योनिच हँसा, और जबाब दिया: “हत्यारा वही होना चाहिए जिसके बैग में चाक़ू पाया गया! कोई कैसे तुम्हारे बैग में चाक़ू रख सकता था, जब कि वह तुम्हारे सिर के नीचे था?”

जब एक्सिओनोव ने इस शब्दों को सुना, उसे लगा निःसंदेह यही वह शख़्स था जिसने उस व्यापारी की हत्या की थी। वह वहाँ से उठकर चला गया। पूरी रात एक्सिओनोव ने जागते हुए बिताई। उसे बहुत ही दुःख हुआ, और तरह-तरह के चित्र उसके मस्तिष्क में उभरे। उसकी पत्नी का वह चित्र सामने आया, जब वह घर से मेले में जाने के लिए निकला था। उसने उसे देखा जैसे वह मौजूद हो: उसका चेहरा और उसकी आँखें उसके सामने उभरीं; उसने उसे बोलते हुए और हँसते हुए सुना। फिर उसने अपने बच्चों को देखा, बिलकुल छोटे, जैसे वे उस समय थे; एक छोटा-सा झबला पहने हुए, दूसरा अपनी माँ की छाती से चिपका हुआ। और फिर उसने अपने आप को याद किया, जैसा वह वर्षों पहले हुआ करता था – हँसता-मुस्कराता मस्त-मौला युवक। उसे याद आया कैसे वह सराय के अहाते में गिटार बजा रहा था, जहाँ उसे गिरफ़्तार किया गया था। उसके मस्तिष्क में वह स्थान कौंधा जहाँ उस पर कोड़े बरसाए गए थे, और याद आया वह जल्लाद, और आस-पास खड़े लोग; और. . . ज़ंजीरें, अपराधी, जेल में बीते समस्त छब्बीस वर्ष, और अपना असामयिक बुढ़ापा।

इन विचारों ने उसे इतना उद्विग्न कर दिया कि वह ख़ुद को मारने के लिए तैयार हो गया।    

“यह सब उस बदमाश की करतूत है!” एक्सिओनोव ने सोचा। वह माकर सेम्योनिच पर इतना अधिक क्रोधित था कि उसके भीतर माकर से बदला लेने की तीव्र इच्छा जागृत हुई। रातभर वह प्रार्थनाओं को दोहराता रहा, लेकिन उसे शान्ति नहीं मिली। अगले दिन वह माकर सेम्योनिच से दूर ही रहा, उसकी ओर उसने देखा तक नहीं। 

इस तरह एक पखवाड़ा निकल गया। एक्सिओनोव रात को सो नहीं पाता था, वह इतना दुखी और बेचैन था कि उसको सूझ नहीं रहा था कि वह क्या करे। 

एक रात जब वह जेल में चहल-क़दमी कर रहा था उसने नोटिस किया कि जिन तख्तों पर कैदी सोते थे, उनमें से एक तख़्ते के नीचे से मिट्टी बाहर आ रही थी। वह देखने के लिए रुका कि वह क्या था। अचानक माकर सेम्योनिच उस तख्ते के नीचे से रेंगता हुआ बाहर आया, और भयभीत नज़रों से एक्सिओनोव को देखा। एक्सिओनोव ने बिना उसे देखे वहाँ से जाने को कोशिश की, लेकिन माकर ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे बताया कि उसने दीवार के नीचे एक गड्ढा खोदा था, और मिट्टी को वहाँ से हटाने के लिए वह उसे अपने ऊँचे-बूटों में भर लेता  था, और जब क़ैदियों को काम के लिए ले जाया जाता था, वह हर रोज़ उसे सड़क के किनारे खाली कर देता था। 

“बूढ़े आदमी, बस तुम चुप रहना, चाहो तो तुम भी भाग जाना। अगर तुमने यह भेद खोला, तो वे मेरी चमड़ी उधेड़-उधेड़ कर मुझे मार डालेंगे, लेकिन उससे पहले मैं तुम्हें ख़त्म कर दूँगा।”

एक्सिओनोव ने जैसे ही अपने दुश्मन को देखा वह क्रोध से काँपने लगा। उसने यह कहते हुए अपना हाथ छुड़ा लिया, “मेरा भागने का कोई इरादा नहीं है, और तुम्हें मुझे मारने की आवश्यकता नहीं है; तुमने मुझे वर्षों पहले मार दिया था! और जहाँ तक तुम्हारा भेद खोलने की बात है – मैं भेद खोल सकता हूँ और नहीं भी, जैसा भगवान् का आदेश होगा।”

अगले दिन, जब क़ैदी काम पर ले जाए जा रहे थे, रक्षक-दल के सिपाहियों ने नोटिस किया कि किसी क़ैदी ने अपने बूटों में से मिट्टी सड़क पर उँडेली थी। क़ैदखाने में खोजबीन की गयी और सुरंग पाई गई। जेल नियंत्रक आया और सभी क़ैदियों से पूछ-ताछ की, यह जानने के लिए कि सुरंग किसने खोदी थी। उन सभी ने किसी भी प्रकार की जानकारी होने से इनकार किया। जिन्हें मालूम था वे भी प्रकट नहीं कर रहे थे, वे जानते थे कि माकर सेम्योनिच को कोड़े मार-मार कर अधमरा कर दिया जाएगा। आख़िरकार जेल नियंत्रक एक्सिओनोव की तरफ मुड़ा, जिसे वह एक ईमानदार व्यक्ति समझता था, और कहा: “तुम एक सच्चे बुज़ुर्ग इंसान हो; ईश्वर को साक्षी मानकर, मुझे बताओ, गड्ढा किसने खोदा है?”

माकर सेम्योनिच नियंत्रक की ओर ताकते हुए, और कनखियों से एक्सिओनोव को देखते हुए, इस तरह से खड़ा था मानो उसे कोई मतलब नहीं था। एक्सिओनोव के होंठ और हाथ काँप रहे थे, काफ़ी समय तक वह एक शब्द भी नहीं बोल पाया। उसने सोचा, “मैं उस व्यक्ति के कृत्य पर पर्दा क्यों डालूँ, जिसने मेरा जीवन बर्बाद किया है? जो कुछ मुझे भुगतना पड़ा है, उसका मूल्य उसे चुकाने दो। लेकिन अगर मैं बताता हूँ, तो शायद कोड़े मार-मार कर वे उसे ख़त्म ही डालेंगे, और हो सकता है मेरा उस पर संदेह ग़लत हो। और, आख़िरकार, इससे मेरा कौन-सा  भला होने वाला है?”

“अच्छा बुजुर्ग सज्जन,” नियंत्रक ने दोहराया, “मुझे सच-सच बताओ: दीवार के नीचे कौन खुदाई कर रहा था।?”

एक्सिओनोव ने उचटती नज़र माकर सेम्योनिच पर डाली, और कहा, “मैं नहीं बता सकता हूँ, मेरे हाकिम, ईश्वर की रज़ामंदी नहीं है कि मैं बताऊँ! आप जैसा चाहें वैसा मेरे साथ करें; मैं आपके हाथों में हूँ।”

हालाँकि जेल-नियंत्रक ने पूरी कोशिश की, एक्सिओनोव ने आगे कुछ नहीं कहा, इसलिए उस मामले को छोड़ देना पड़ा। 

उस रात, जब एक्सिओनोव अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था और उसे झपकी आई ही थी कि कोई चुपके से आया और उसके बिस्तर पर बैठ गया। उसने अँधेरे में ध्यान से देखा और माकर को पहचान लिया।

“तुम मुझ से अब और क्या चाहते हो? एक्सिओनोव ने पूछा। “तुम यहाँ क्यों आये हो?”

माकर सेम्योनिच कुछ नहीं बोला। एक्सिओनोव उठ कर बैठ गया और कहा, “तुम क्या चाहते हो? चले जाओ, नहीं तो मैं गार्ड को बुलाऊँगा!”

माकर सेम्योनिच एक्सिओनोव के क़रीब आया और झुककर दबी जबान से कहा, “इवान दमित्रिच, मुझे माफ़ कर दो!"

“किसलिए?” एक्सिओनोव ने पूछा।

“वह मैं ही था जिसने उस व्यापारी की हत्या की थी और चाक़ू तुम्हारे सामान के बीच में छिपा दिया था। मैं तुम्हें भी मार डालना चाहता था, लेकिन बाहर कुछ शोर-गुल सुनाई दिया, इसलिए मैंने चाक़ू तुम्हारे बैग में छिपा दिया और खिड़की से कूद कर भाग गया।”

एक्सिओनोव चुप था, समझ नहीं पा रहा था कि वह क्या कहे। माकर सेम्योनिच तख्ते के बिस्तर से नीचे उतर  गया और घुटनों के बल ज़मीन पर बैठ गया। “इवान दमित्रिच,” उसने कहा, “मुझे माफ़ कर दो! परमात्मा के प्रेम  ख़ातिर, मुझे माफ़ कर दो! मैं अपना गुनाह क़ुबूल करूँगा कि मैंने ही उस व्यापारी की हत्या की थी, और तुम छोड़ दिए जाओगे और अपने घर जा सकोगे।”

“तुम्हारे लिए यह कहना बहुत सरल है,” एक्सिओनोव ने कहा, “लेकिन तुम्हारे कारण मैंने इन छब्बीस वर्षों में असहनीय दुःख भोगा है। अब मैं कहाँ जा सकता हूँ? . . . मेरी पत्नी मर चुकी है, मेरे बच्चे मुझे भूल चुके हैं, मुझे कहीं नहीं जाना है. . .”

माकर सेम्योनिच खड़ा नहीं हुआ, बस अपना सिर फ़र्श पर पीटने लगा।

“इवान दमित्रिच, मुझे माफ़ कर दो!” वह चिल्लाया। “जब वे मुझ पर कोड़े बरसा रहे थे, उसे सहन करना इतना दूभर नहीं था, जितना अब तुम्हें देखकर . . .फिर भी तुमने मुझ पर दया दिखाई, और भेद नहीं खोला। क्राइस्ट के ख़ातिर मुझे माफ़ कर दो, मुझ कमीने को!” और वह सुबक-सुबक कर रोने लगा।

जब एक्सिओनोव को उसके सुबकने की आवाज़ आई, वह भी रोने लगा।

“ईश्वर तुम्हें क्षमा करेगा! उसने कहा, “शायद, मैं तुमसे सौ गुना बुरा हूँ।” इन शब्दों के साथ उसका हृदय हल्का हो गया, और उसकी घर जाने की चाहत ख़त्म हो गयी। उसकी जेल से जाने की इच्छा भी शेष नहीं रही, उसे बस अपने अंतिम समय का इन्तज़ार था।

एक्सिओनोव ने जो कहा था, बावजूद उसके, माकर सेम्योनिच ने अपना गुनाह क़ुबूल कर लिया। लेकिन जब एक्सिओनोव के रिहाई के आदेश आये, उससे पहले उसकी मृत्यु हो चुकी थी।

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