इस बार की बारिश

15-07-2020

इस बार की बारिश

अनीता श्रीवास्तव (अंक: 160, जुलाई द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

अलग एहसास दे कर जाएगी इस बार की बारिश
सुनो हर बार से होगी अलग इस बार की बारिश


किनारे पर खड़ी होगी नदी अपने ही धारों के
भिगो कर हँस रही होगी उसे इस बार की बारिश


फुहारों से निकल जाएँगे बच कर उड़ते आँचल भी  
न बूँदों को नचा ही पाएगी इस बार की बारिश


खिलेंगे सब तरफ़ जो फूल उनकी ख़ुशबुओं में भी
दिलों को झूमने देगी नहीं इस बार की बारिश


चलेगी नाव काग़ज़ की न अबकी बार आँगन में
बच्चों को रखेगी रोक कर इस बार की बारिश


बदली बरस तो लेगी मगर दिल पर रहेगा बोझ
बरस कर भी बरस न पाएगी इस बार की बारिश


शैतानियाँ नादानियाँ बन गईं हैं दुशवारियाँ सीं
तरेरे आँख आई है यहाँ इस बार की बारिश


भिगोना छोड़ न दे जल लगा रहता है खटका सा
मुझ गुमनाम शायर की नज़्म इस बार की बारिश

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