झरते हरसिंगार ने, रोका है पथ कभी, जुगनू आँधेरे में, रातरानी की महक ने, धकेला है भँवर में? गुलाब को पाया- इंतज़ार में गुमसुम? तो पथिक भूले नहीं तुम, राह अब तक।