इंसानियत के वाक़ये दुशवार हो गये

07-06-2008

इंसानियत के वाक़ये दुशवार हो गये

नीरज गोस्वामी

इंसानियत के वाक़ये दुशवार हो गये
जज़्बात ही दिल से जुदा सरकार हो गए

कब तक रखेंगे हम भला इनको सहेज कर
रिश्ते हमारे शाम का अख़बार हो गये

हमने किये जो काम उन्हें फ़र्ज़ कह दिया
तुमने किये तो यार वो उपकार हो गये

काँटे मिलें या फूल हमें पथ में क्या पता
जब साथ चलने को कहा तैय्यार हो गए

ढूँढा जिसे था वो कहीं हमको नहीं मिला
आँखे करी जो बंद तो दीदार हो गये

रौंदा जिसे भी दिल किया जब थे ग़रूर में
बदला समय तो देखिये लाचार हो गये

कल तक लुटाते जान थे हम जिस उसूल पर
लगने लगा है आज वो बेकार हो गये

नीरज करी जो प्यार की बातें कभी कहीं
सोचा सभी ने हाय हम बीमार हो गये

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

ग़ज़ल
विडियो
ऑडियो

विशेषांक में