इन्सान की हर ख्वाहिश पूरी नहीं होती
डॉ. विजय कुमार सुखवानीइन्सान की हर ख्वाहिश पूरी नहीं होती
हर अर्ज़ी की किस्मत में मंजूरी नहीं होती
कौन कहता है फ़ासले दूरी से होते हैं
फ़ासले वहीं होते हैं जहाँ दूरी नहीं होती
दुनियादारी के फैसले तो ज़ेहन से होते हैं
इनमें दिल की रजामंदी ज़रूरी नहीं होती
बेवफ़ाई कुछ लोगों की धेतरत होती है
हर बेवफ़ाई के पीछे मजबूरी नहीं होती
वो लोग नाकाम रहते हैं दुनिया में अक्सर
जिनसे मेहनत तो होती है जीहजूरी नहीं होती
ये भरम है कि हमीं से मुकम्मल है दुनिया
ये दुनिया किसी के बगैर अधूरी नहीं होती
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