हमने    देखे     हैं    कई   रंग   ज़माने   वाले

15-05-2021

हमने    देखे     हैं    कई   रंग   ज़माने   वाले

संदीप कुमार तिवारी 'बेघर’ (अंक: 181, मई द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

2222  212  211  2222
 
हमने    देखे     हैं    कई   रंग   जमाने   वाले 
हसती  आँखों  को, कई ख़्वाब  दिखाने वाले
 
सबकी दामन  को  कभी  वो ख़ुशियाँ भी देते
अपनी  आँखों  से  कभी   ख़ून   बहाने  वाले
 
हमसे  पूछो  ना  कभी   रात   कहाँ  काटी  है 
कुछ तो हैं वो   जो मुझे  दिल को लगाने वाले 
 
हम भी शामिल हैं उसी  ही  दुनिया  में  लोगो 
जिस  में  लाखों  चोर  हैं  साध  कहाने  वाले
 
अबके  सावन  में  कहीं  बाढ़  नहीं  आ  जाये
बढ़  चूके  हैं  लोग   भी   अश्क  बहाने  वाले

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