होली गीत - डॉ. रमा सिंह
शकुन्तला बहादुर रचना - डॉ. रमा सिंह
प्रसिद्ध कवयित्री एवं पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्षा,
जोधपुर विश्वविद्यालय
रंगीली ओढ़नी ओढ़े, धरा पर आ गई होली।
गगन में छा गई होली, हमें तो भा गई होली॥
कहीं पिचकारियाँ सुन्दर, कहीं किलकारियाँ मनहर।
फुहारें रंग की बौछार, करती आ गई होली॥
कहीं पर रंग की मस्ती, कहीं पर खो गई हस्ती।
हृदय की कालिमा को चीर, मन पर छा गई होली॥
ये बहुरंगी अबीर गुलाल के बादल,
उड़ाती आ गई होली, ये नभ में छा गई होली।
रंगीली मुस्कुराहट ले, धरा पर आ गई होली॥