हिल गया है मन

15-05-2021

हिल गया है मन

डॉ. सुशील कुमार शर्मा (अंक: 181, मई द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

हिल गया है मन
कौन इसको सँभाले।
 
मौत के इस दौर में
हर तरफ़ हैं सिसकियाँ।
इस हवा के ख़ौफ़ से
बंद सारी खिड़कियाँ।
 
हर तरफ़ है डर
कौन इससे निकाले।
 
ज़हर अब बह रहा है
साँस अब अवरुद्ध है।
संक्रमित रिश्ते सभी
मौत फिर प्रतिबद्ध है।
 
टूटता तन मन
प्रभो आकर बचाले।
 
कौन ज़िम्मेदार है
कौन दोषी बताओ।
मर रहा इंसान है
अरे उसको बचाओ।
 
छूटता जीवन
मौत चुगती निवाले।
 

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