हे प्रिय! पुस्तकालय की पुस्तक सी मैं शीशे की सुन्दर बुक रैक में क़ैद तुम मॉडर्न युग के पाठक से पूरा संसार लिये मोबाइल हाथ में किन्तु, मेरे चेहरे पर लिखे शब्दों को पढ़ना तो दूर मुझ पर पड़ी- धूल भी नहीं झाड़ते!