हे केशव . . .

01-03-2021

हे केशव . . .

निवेदिता तिवारी (अंक: 176, मार्च प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

हे केशव 
नित खड़ा मैं युद्ध क्षेत्र में ,
मार्ग मेरा प्रशस्त करो,
वैचारिक भँवर में,
उलझी हुई डगर में ,
मेरे पथ की विजयी बागडोर अपने हाथ धरो।
हे केशव मार्ग मेरा प्रशस्त करो।
 
क्यों हो क्षुब्ध मेरा मन
जो तुम सा प्रबुद्ध हो संग।
अभिमान हो सम्मान हो 
हो शंखनाद ऐसा जिसमें विजय गान हो।
नित खड़ा मैं युद्ध क्षेत्र में, 
मार्ग मेरा प्रशस्त करो . . .
 
न हो जहाँ भय का अंधकार, 
न हो संकीर्ण ऊँची दीवार 
ज्ञान प्रकाश से लग जाये भाव सागर पार
हर बार की तरह फिर दो साथ इस बार 
हे केशव 
मार्ग मेरा प्रशस्त करो . . .
मार्ग मेरा प्रशस्त करो . . .

0 टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें