हे ध्वज मेरे

01-08-2021

हे ध्वज मेरे

अभिषेक पाण्डेय (अंक: 186, अगस्त प्रथम, 2021 में प्रकाशित)

हे ध्वज मेरे लहराते जा,
बलिदानों पर इतराते जा।
वीरों के जयगानों को,
तूँ शून्य गगन में गाते जा॥
 
चाहे जितने ही शीश कटें,
लाशों से धरती बहु बार पटें,
रो मत तूँ,  हर्षाते जा।
हे ध्वज मेरे लहराते जा॥
 
शक्ति की विकट आँधियों में,
मत शीश झुका, फहराते जा,
हे ध्वज मेरे लहराते जा,
हे ध्वज मेरे लहराते जा॥
 
जब देश लगे लेने अँगड़ाई,
वृद्ध लगे होने तरुणाई,
वीरों के तब सौरभ से,
मानस को नहलाते जा,
 
हे ध्वज मेरे लहराते जा,
हे ध्वज मेरे लहराते जा॥

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