हरसिंगार  रखो

01-02-2020

हरसिंगार  रखो

त्रिलोक सिंह ठकुरेला (अंक: 149, फरवरी प्रथम, 2020 में प्रकाशित)

 मन के द्वारे पर
ख़ुशियों के
हरसिंगार  रखो।


जीवन की ऋतुएँ बदलेंगी,
दिन फिर जायेंगे,
और अचानक आतप वाले
मौसम आयेंगे,
संबंधों की
इस गठरी में
थोड़ा प्यार रखो।


सरल नहीं जीवन का यह पथ,
मिलकर काटेंगे,
हम अपना पाथेय और सुख,दुःख
सब बाँटेंगे,
लौटा देना प्यार
फिर कभी,
अभी उधार रखो।

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