हर कोई कह रहा है दीवाना मुझे
देर से समझेगा ये ज़माना मुझे
सर कटा कर भी सच से न बाज आऊँगा
चाहे जिस वक़्त भी आज़माना मुझे
अपने पथराव से ख़ुद वो घायल हुआ
जिस किसी ने बनाया निशाना मुझे
जिसकी ख़ुशबू बढ़ाती हो आवारगी
वो ही मौसम लगे है सुहाना मुझे
नेमते इस तरह बाँटना हे ख़ुदा !
सबको दौलत मिले दोस्ताना मुझे