हर दम मेरे पास रहा है
सजीवन मयंकहर दम मेरे पास रहा है।
वो जो मेरा खास रहा है॥
बाहर से हँस लेता है दिल।
भीतर बहुत उदास रहा है॥
महानगर में आम आदमी।
चलती फिरती लाश रहा है॥
दिखते हैं जो आज खंडहर।
उनका भी इतिहास रहा है॥
अपनी हम क्या कहें दोस्तों।
जीवनभर वनवास रहा है॥
क्या होता है दर्द पराया।
हरदम ये एहसास रहा है॥
जाने वाला चला गया है।
अब क्या खाक तलाश रहा है॥
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