हर बार की तरह

15-04-2021

हर बार की तरह

जितेन्द्र 'कबीर' (अंक: 179, अप्रैल द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)

हर बार की तरह
इस बार भी
सब शब्द-मनीषी करेंगे
होलिका दहन पर
अपने सृजन के माध्यम से
संसार की समस्त बुराइयों के
दहन का आह्वान,
हर बार की तरह
इस बार और भी फलेंगी-फूलेंगी
समाज में सब जगह बुराइयाँ,
 
शब्द बने रहेंगे बस
एक क़लम का आवारा भटकाव,
उनको अमल में लाने को लेकर
ज़माने में रहेगा जब तक दुराव।
  
हर बार की तरह 
इस बार भी
सब शब्द-मनीषी करेंगे
अपने सृजन के माध्यम से
प्रेम के रंगों से संसार में
घृणा और नफ़रत मिटाने की
मंगल कामनाएँ,
हर बार की तरह
इस बार और भी
बढ़ता जाएगा इंसान-इंसान
के बीच भेदभाव,
 
कामनाएँ बनी रहेंगी 
केवल मन की एक कल्पना,
मूर्त रूप उनको देने में
ज़माना जब तक रहेगा अनमना।

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