हमारी प्यारी मातृभूमि

15-11-2020

हमारी प्यारी मातृभूमि

राघव सराफ (अंक: 169, नवम्बर द्वितीय, 2020 में प्रकाशित)

(आयु: 13 साल)

क‌‌ई लोग जन्मे तुझपर,
क‌ई लोग मरे तुझपर।
परंतु तू न रुकी,
तू न थकी,
हमारा बोझ सहती रही।
 
तेरी मिट्टी जैसे फूल,
इसे मुश्किल है जाना भूल।
तेरा‌ पानी‌‌ जैसे अमृत,
जिसे पीना‌ चाहे हर को‌ई 
चाहे हो जीवित या मृत।
तेरे फल जैसे हर रोग की दवा‌ई,
जिन्हें खाए और स्वस्थ हो जाए।
 
तुझपर ही हैं जन्मे,
तुझपर ही है सुख-चैन पाया,
तूने अपना पानी पिलाया,
तूने अपना खाना खिलाया।
 
जब अँग्रेज़ों ने किया तुझपर क़ब्ज़ा,
तब भी तू न चिल्लायी,
न घबरायी,
दर्द सहती रही,
और फिर अँग्रेज़ों को मोड़ा।
 
पहले तू थी सोने की चिड़िया,
तेरा हर समान था बढ़िया।
आशा है तू रहेगी कुशल,
तुझे देखने के लिए दिल जाता है मचल।
 
तूने हर किसी को अपनाया,
चाहे हो अपना या पराया,
हर किसी को तूने अपना बनाया,
हर जगह तूने मौजूद रखी अपनी धूप और छाया,
बनकर रही हमारा साया।
 
यह तो थी पैसों की मोह माया,
कि क‌ई लोगों ने तुझे ठुकराया।
वह लोग चाहते थे विदेश में जाना बस,
परंतु हो ग‌ए बेबस।
 
तेरी नदियों को किया दूषित,
तुझे किया प्रदूषित।
हमें कर तू माफ़,
अब रखेंगे तुझे साफ़।
हे मातृभूमि, तू है महान,
तू है महान।

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